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गुलदस्ता - ए - शायरी


तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं 
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं 
~ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

दिल धड़कने का सबब याद आया 
वो तिरी याद थी अब याद आया 
~ नासिर काज़मी

तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें 
हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया 
~ बहादुर शाह ज़फ़र

याद उस की इतनी ख़ूब नहीं 'मीर' बाज़ आ 
नादान फिर वो जी से भुलाया न जाएगा 
~ मीर तक़ी मीर

अब तो उन की याद भी आती नहीं 
कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ 
~ फ़िराक़ गोरखपुरी

तुम भूल कर भी याद नहीं करते हो कभी 
हम तो तुम्हारी याद में सब कुछ भुला चुके 
~ शेख़ इब्राहीम ज़ौक़

तुम से छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था 
तुम को ही याद किया तुम को भुलाने के लिए 
~ निदा फ़ाज़ली

तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी 
कुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो 
~ जौन एलिया

ज़िंदगी क्या हुए वो अपने ज़माने वाले 
याद आते हैं बहुत दिल को दुखाने वाले 
~ अख़्तर सईद ख़ान

दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते 
याद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते 
~ फ़ना निज़ामी कानपुरी


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